Essence of me
Tuesday, April 12, 2011
बारात
ढोल-नगाड़ों के बीच
पूरे सोलह श्रृंगार के साथ
बारात निकली थी घर से उनके कल
मंडप-महूरत...पंडाल-झूमर सब लगाया
जलसा था...मस्त झूम रहे थे सब.
खिड़की से बैठे मैंने पूरा तमाशा देखा
मिलने लेकिन आज गई.
मंदिर के पण्डे से ज्यादा
आज भगवन थके से जान पड़ते थे.
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