Wednesday, April 25, 2012

महफूज़


महफूज़ रखा है तुम्हे मैंने...
कुछ ख्यालों में,
कुछ किताबों में,
चंद लम्हों में,
तमाम रातों में...

महफूज़ रखा है तुम्हे मैंने...
उड़ते आँचल कि किनारों में,
गुलमोहर कि केसरी छाओं में,
चंद आंसुओं में,
तमाम बारिशों में...

महफूज़ रखा है तुम्हे मैंने...
कुछ पुराणी चिट्ठियों में,
कुछ बंद लिफ़ाफ़ों में,
चंद तस्वीरों में,
तमाम यादों में...

महफूज़ रखा है तुम्हे मैंने...
हर सलाम, हर इबादत में,
कभी दुआओं, कभी ख्वाबों में,
दिल के वीरानों में,
महफिलों, बाज़ारों में,

महफूज़ रखा है तुम्हे मैंने...
महफूज़ रखा है तुम्हे मैंने...



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