Essence of me
Thursday, November 29, 2012
रिश्ता
क्यूँ जताते हो हरक़तों से, सवालों से
की गुम हो इतने ख़्वाबों, उम्मीदों में
की फ़लक को मंजिल समझते-समझते
ज़मी से रिश्ता ही तोड़ बैठे।
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