Essence of me
Wednesday, November 4, 2009
कल ही की बात है, है ना...
खुदसे खवा,
अपने आप से लड़ते,
उस अकेली राह पर, तनहा यूँही चल पड़े थे...
एक नज़र पलट कर देखा तोह होता...
मेरा बढाया हाथ थमा तो होती,
हर बढ़ते कदम से ज़मी को नापना इतना मुश्किल न लगता...
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